‘रिवोल्यूशन हाइवे’ ka Hindi sanskaran ab uplabd hai // Revolution Highway has been published in Hindi




‘रिवोल्यूशन हाइवे’  बेचैन दशक के नाम से विख्यात, पिछली सदी के सातवें दशक की स्मृतियों के गंभीर, विचारोत्तेजक और संवेदनशील मंथन का आख्यान है। नक्सलबाड़ी का किसान-विद्रोह, उस विद्रोह में बुद्धिजीवियों, छात्रों की भागीदारी, बांगलादेश का जन्म, वियतनाम युद्ध और  विश्वव्यापी छात्र-असंतोष इस आख्यान की पृष्ठभूमि में है।

नक्सलवादी आंदोलन के उस दौर में लेखक की व्यक्तिगत संलग्नता जहाँ इस उपन्यास को  सर्जनात्मक संस्मरण की विश्वसनीयता देती है, वहीं समूचे घटनाक्रम पर नैतिक पुनर्विचार का साहस ‘रिवोल्यूशन हाइवे’ को एक वैचारिक चुनौती के धरातल पर भी ले जाता है।  यह कथा हिंसा-अहिंसा, इतिहास-राजनीति, सही-गलत, वर्तमान-भविष्य के यक्ष-प्रश्नों से जूझती बैचैन आत्माओं की कथा है।

‘रिवोल्यूशन हाइवे’  भीतर-बाहर के  द्वंद्वों में व्याप्त जीवनानुभव और मोहभंग पर विचार-पुनर्विचार के जरिए अर्जित होने वाले विवेक की कथा है।

प्रतिशोध से पगलाया, विवेक-मणि से वंचित अमरता का अभिशाप ढो रहा  अश्वत्थामा इस आख्यान की मूल वेदना का रूपक है, उपन्यास एक तरह से अश्वत्थामा की आत्मा की शांति का अनुष्ठान भी है।

-पुरुषोत्तम अग्रवाल।  

http://www.rajkamalprakashan.com/index.php?p=sr&Uc=9788126725731

Popular posts from this blog

Haruki Murakami: On seeing the 100% perfect girl one beautiful April morning

Albert Camus's lecture 'The Human Crisis', New York, March 1946. 'No cause justifies the murder of innocents'

The Almond Trees by Albert Camus (1940)

James Gilligan on Shame, Guilt and Violence

Etel Adnan - To Be In A Time Of War

After the Truth Shower

The Republic of Silence – Jean-Paul Sartre on The Aftermath of War and Occupation (September 1944)