पुजारी का कर्म

पुजारी का कर्म

(Video + photo)

पुजारी चिताओं के बीच खड़ा है,

उसके मंत्रोच्चार उसके भीतर ही घुल रहे हैं,

चिताओं की अग्नि में

लकड़ियों के जलने की आवाज़ और धुंआं  मुखर है।


अब तक उसने कभी दिन भर में,

दो-एक से अधिक अंतिम संस्कार नहीं कराये,

अब वह हर रोज़ सैकड़ों मृतकों के लिये मंत्र पढ़ रहा है

श्मशान में मज़दूर एक-एक कर अर्थियां ढो रहे हैं।

 

शवों के बीच जैसे खो चुकी चिता सामग्री,

ऐसे में कोई परमात्मा से क्या दुआ करे,

अनजान चेहरों पर आंसुंओं  के समंदर में,

वह बस लपटों में शवों को धुंआं होते देखता है।

 

आसपास बिखरी हताशा और विक्षोभ,

अपना कर्तव्य निभाता एक पुजारी,

मैं मंत्रों से अधिक उस की आंखों को महसूस करता हूं,

जो अभी दुख का अनंत सागर समेटे है।


रामकरन 

ओम शांति, ओम शांति     


दिलीप सिमियन

अनुवाद हृदयेश जोशी

https://twitter.com/hridayeshjoshi/status/1391288906818097155

https://twitter.com/hridayeshjoshi/status/1391288916506865664

Hridayesh Joshi's Facebook page

The Hindu priest struggling to cremate India’s Covid dead – video

Nandini Sen Mehra: And night has come upon my land

Pinjra Tod activist Natasha Narwal's father dies of Covid day before her bail hearing // That Monday will not come, Judge Sahib


Popular posts from this blog

Third degree torture used on Maruti workers: Rights body

Haruki Murakami: On seeing the 100% perfect girl one beautiful April morning

Albert Camus's lecture 'The Human Crisis', New York, March 1946. 'No cause justifies the murder of innocents'

The Almond Trees by Albert Camus (1940)

Etel Adnan - To Be In A Time Of War

After the Truth Shower

James Gilligan on Shame, Guilt and Violence