Himanshu Kumar - लक्खे के सपनों की मौत // आयता

लक्खे के सपनों की मौत

लक्खे एक आदिवासी लड़की है

लक्खे छत्तीसगढ़ के एड्समेट्टा गाँव मे रहती थी

लक्खे की तेरह साल की उम्र मे लखमा से शादी हुई

पुलिस वाले इनाम और के लालच मे आदिवासियों को जेल मे डालते रहते हैं

लक्खे जंगल मे लकडियाँ लेने गयी थी

पुलिस पार्टी उधर से गुज़र रही थी

पुलिस वाले लक्खे को पकड़ कर थाने ले गए

लक्खे को थाने मे बहुत बुरी तरह मारा

उसके बाद लक्खे को जेल मे डाल दिया गया


लक्खे पर पुलिस ने नक्सलवादी होने के चार फर्ज़ी मामले बनाए

तीन मामलों मे लक्खे को अदालत ने निर्दोष घोषित कर के बरी कर दिया है

लेकिन इस सब मे दस साल गुज़र गए

लक्खे अभी भी जगदलपुर जेल मे बंद है

शुरू के कुछ साल तक तो लक्खे को उम्मीद थी

कि मैं जेल से जल्द ही निकल कर घर चली जाऊंगी


जेल मे आने के चार साल तक लक्खे का पति जेल मे लक्खे से मिलने आता रहा

लेकिन चार साल बाद लक्खे ने अपने पति लखमा से जेल की सलाखों के पीछे से कहा

लखमा अब शायद मैं कभी भी बाहर ना निकल सकूं

जा तू किसी दूसरी लड़की से शादी कर ले

जेल से अपने पति के वापिस जाने के बाद

उस रात लक्खे बहुत रोई

सोनी सोरी भी तब जेल मे ही थी

लक्खे का रोना सुन कर

जेल मे दूसरी महिलाओं को लगा शायद लक्खे के परिवार मे किसी की मौत हो गयी है

इसलिए लक्खे रो रही है


लेकिन असल मे उस रात लक्खे के सपनों और उम्मीदों की मौत हुई थी

लक्खे अभी भी जगदलपुर जेल मे है

पूरी उम्मीद है लक्खे आख़िरी मुकदमे मे भी बरी हो जायेगी

लेकिन लक्खे के जीवन के इतने साल कौन वापिस देगा ?

लक्खे के सपनों की मौत भारत के लोकतंत्र की मौत नहीं है क्या ?

आदिवासियों की ज़मीनें छीनने के लिए छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार बुरी तरह आदिवासियों के पीछे पड़ी हुई है 
आदिवासी सरकार के खिलाफ़ आवाज़ ना उठा सकें इसलिए आदिवासियों को डरा कर चुप रखने के लिए अपराधी किस्म के क्रूर पुलिस अधिकारियों को बस्तर में पदस्थ किया जाता है .
आजकल बस्तर का पुलिस आईजी कल्लूरी नामक पुलिस अधिकारी को बना दिया गया है
कल्लूरी पहले लेधा नामकी आदिवासी महिला के साथ महीना भर थाने में बलात्कार करवाने और अनेकों फर्ज़ी मुठभेड़ों में बदनाम है .
बस्तर में कल्लूरी ने तीन गावों में आग लगवाई थी .
लिंगा कोडोपी ने उन गावों का वीडियो बना कर यू ट्यूब पर डाल दिया तो लिंगा को फर्ज़ी मामलों में फंसा कर जेल में डाल दिया गया .
सोनी सोरी और उसके पति ने लिंगा की मदद करी ,
इससे चिढ़ कर कल्लूरी ने सोनी के पति को भी फर्ज़ी मामलों में फंसा कर जेल में डाल दिया
सोनी के पति को अदालत ने निर्दोष पाया लेकिन रिहाई से पहले जेल में सोनी के पति को इतना मारा गया कि जेल से बाहर आते ही सोनी सोरी के पति ने दम तोड़ दिया .
सोनी सोरी को भी अनेकों फर्ज़ी मामलों में फंसा कर पकड़ा गया और थाने में ले जाकर उसके गुप्तांगों में पत्थर भर दिए गए .
तीन गाँव को जलाने के बाद मैंने जब इस खबर को सार्वजनिक किया और उस पर देश भर में विवाद शुरू हुआ तो कल्लूरी को बस्तर से हटाना पड़ा था .
लेकिन कुछ महीने पहले सरकार ने कल्लूरी को फिर से बस्तर का चार्ज दे दिया .
पुलिस महानिरीक्षक कल्लूरी ने इस बार बस्तर पहुँचते ही आदिवासियों की आवाज़ दबाने के लिए मुखर आदिवासी युवाओं को नक्सली कह कर उन्हें जबरदस्ती आत्मसमर्पण करने और बात ना मानने पर मारे जाने के लिए तैयार हो जाने का फरमान दे दिया .
हजारों आदिवासियों का फर्ज़ी आत्म समर्पण करवाया गया .
आयता नामक एक आदिवासी युवा को भी महानिदेशक कल्लूरी ने नक्सली बन कर आत्म समर्पण करने के लिए मजबूर किया .
आयता ने कहा कि मैं नक्सली हूँ ही नहीं , यहाँ तक कि मेरे खिलाफ़ कोई फर्ज़ी रिपोर्ट तक नहीं है तो फिर मैं नकली नक्सली बन कर आत्म समर्पण क्यों करूँ ?
इस पर नाराज़ होकर कल्लूरी ने पुलिस भेज कर आयता कि पत्नी सुकड़ी का अपहरण करवा लिया .
पन्द्रह हज़ार आदिवासियों ने सोनी सोरी की अगुआई में थाने को घेर लिया .
पुलिस को हार कर आयता की पत्नी सुकड़ी को वापिस लौटाना पड़ा .
लेकिन पुलिस ने चिढ़ कर तीन दिन बाद बदला लेने के लिए आदिवासियों के गाँव पर फिर से हमला किया .
बूढ़ी आदिवासी औरतों तक को पीटा गया . आदिवासी महिलाओं की हड्डियां तोड़ डाली गयीं .
लेकिन आदिवासी नहीं डरे .
प्रदर्शनों का सिलसिला चलता रहा .
आदिवासियों ने पुलिस अपहरण से छुड़ाई गयी सुकड़ी को गाँव का सरपंच चुन लिया .
आयता ने अपने खिलाफ़ कल्लूरी के दमन के विरुद्ध राजधानी रायपुर में प्रेस कांफ्रेंस करी
आयता पुलिस महानिदेशक से मिलने पुलिस मुख्यालय गया .
पुलिस महानिदेशक आयता से नहीं मिले .
आयता अपने गाँव वापिस आ गया .
इसी बीच एक अन्य आदिवासी युवक को पुलिस ने पकड़ कर नक्सली कह कर जेल में डाल दिया
हज़ारों आदिवासियों ने फिर से थाने को घेर लिया .
इस बार आदिवासियों की अगुवाई सोनी सोरी के साथ आयता भी कर रहा था .
प्रदर्शन स्थगित होने के बाद आयता अपने गाँव वापिस लौट रहा था .
तभी पुलिस ने आयता को अकेला देख कर उसे पकड़ लिया .
सोनी थाने पहुँची और सोनी ने कहा कि कल्लूरी आयता से चिढा हुआ है और पुलिस ने कल्लूरी के घमंड की रक्षा के लिए कल्लूरी के कहने से ही आयता को पकड़ा है .
तभी कल्लूरी की गाड़ी वहाँ पहुँच गयी .
सोनी सोरी अड् गयी कि कि आप आयता को थाने में प्रताड़ित करना चाहते हैं कल्लूरी यहाँ इसीलिये आया है
आदिवासियों ने फिर थाने को घेर लिया .
इस सब से पुलिस आयता को प्रताड़ित नहीं कर पायी .
लेकिन पुलिस ने आयता पर अनेकों फर्ज़ी मामले बना कर आयता को जेल में डाल दिया है .
सोनी सोरी और उनके वकील आयता की ज़मानत की कोशिशों में लगे हुए हैं .
जब भारत का इतिहास लिखा जाएगा तो उसमे आदिवासियों के खून के बहुत सारे धब्बे ज़रूर होंगे .
शायद कई पीढ़ियों बाद भारत का प्रधानमंत्री भी लालकिले से मरे हुए आदिवासियों से माफी मांगेगा जैसे आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने मारे गए लाखों आदिवासियों से अब माफी मांगी है .
हर विकसित सभ्यता में वहाँ के आदिवासियों की लाशें क्यों होती हैं ?
हम खुद को सभ्य और धार्मिक कैसे कह सकते हैं ?.

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