पेटलावद विस्फोट – मौतों पर बजती तालियाँ : जसबीर चावला // What is the truth behind the Petlawad explosion that cost 104 lives? Doesn't the Nation Want to Know?
On Saturday Sept 12, 2015, over 100 people were killed in an explosion in a small
flour mill near Jhabua district - where the explosives (nearly 100 gelatine
sticks) were stored. The owner is yet to be traced. Rajendra Kaswa reportedly
had the license to use the explosives for his mining business but stored them at
the shop illegally. After the explosion
yesterday, he and his family allegedly fled from their
residence. Locals claim they had lodged a complaint about Kaswa almost a
year ago, but no action was taken against him. "Last year I had complained
to the Collector about Kaswa storing explosives in this area but no one did
anything," said Channu Lal, his neighbour.
Whatever the latest twitterings and dramatic performances being enacted by the CM and PM, the comments beneath this particular report show what is at stake:
Whatever the latest twitterings and dramatic performances being enacted by the CM and PM, the comments beneath this particular report show what is at stake:
Here is the nexus between illegal mining, unauthorised
storage, transport use of explosives, bribing police, explosive inspector,
mining and geology department of Madhya Pradesh, local MLA and Mines minister
of state of MP. Transport of hazardous substance in public transport and
it's storage in public place. Even the company which supplied explosive to
illegal mining be prosecuted as explosive has to be supplied only to licensed
magazine holders. Following officers be made guilty:
1. Explosive inspector /
2. Explosive company which supplied /
3. Mine owners who stored them in public place /
4. Local police and inspectors /
5. DC and Tahasildar who gave Noc for blasting in illegal mines without proper storage or transport or use of explosives /
6. mining and geology officials /
7. Directorate general of mine safety who are responsible for enforcement of rules to mines
2. Explosive company which supplied /
3. Mine owners who stored them in public place /
4. Local police and inspectors /
5. DC and Tahasildar who gave Noc for blasting in illegal mines without proper storage or transport or use of explosives /
6. mining and geology officials /
7. Directorate general of mine safety who are responsible for enforcement of rules to mines
8. Blaster who received explosive from unauthorised storage /
9. Fire department allowed to store explosive in restaurant /
10. Restaurant owner or manager who illegally stored it /
11. Traffic police for allowing explosive transport in public place in private vehicles.
9. Fire department allowed to store explosive in restaurant /
10. Restaurant owner or manager who illegally stored it /
11. Traffic police for allowing explosive transport in public place in private vehicles.
And as the report below by Jasbir Chawla states (see original in Hindi below):
If the suspected person had been a Sikh, connections would
immediately have been made between the explosion and fanatic extremists from Punjab,
the Khalistan commando force etc. Had he possessed a Muslim name connections
would have been made to the Lashkar e Taiba, Taliban, Islamic State, etc, and
might even have extended to Syria, Yemen etc. National TV would have been
awash with expert comments on terrorism. But since the matter pertains to Hindu
Rashtra, the local newspapers, without waiting for an inquiry, announced in
hushed tones that the police was not treating it as a terrorism-related issue.. The district has been home to the storage of legal and illegal explosives for years.. are local police and officials not responsible for allowing this to happen?
पेटलावद विस्फोट – मौतों पर बजती तालियाँ : जसबीर चावला
मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले के पेटलावद क़स्बे में बस स्टेंड के पास भीड भरे स्थान पर रहवासी और व्यवसायिक क्षेत्र के एक मकान में अवैध रूप से रखे विस्फोटक जिलेटिन के भंडार में शनिवार विस्फोट हो गया. विस्फोट से ९० लोगों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हैं जिनमें से कई की हालत गंभीर है,जिन्हे इंदौर,दाहोद अादि जगह भेजा गया.
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को घटनास्थल का दौरा किया और सार्वजनिक रूप से घोषणा की कि सरकार हायकोर्ट के किसी जज से इसकी न्यायिक जाँच करवायेगी. दोषियों को दंडित किया जायेगा. मृतकों के परिजनों को १० लाख रुपये और घायलों के इलाज का सारा खर्च सरकार करेगी और पीड़ित परिवारों के रोजगार पर भी सरकार ध्यान देगी.
✔️ ‘व्यापमं’ प्रदेश के मुख्यमंत्री जब ये घोषणायें कर रहे थे तो उनके पास खड़े उनके दल के लोग उनकी ‘भामाशाही’ घोषणाओं पर बार बार तालियाँ बजा कर स्वागत कर रहे थे. सामने दुखी और पीड़ितों का विरोध करता हुजूम था.
✔️ इस ‘विस्फोट’ से सीधे प्रश्न उठते है. मध्यप्रदेश कोई सीमावर्ती राज्य नहीं है जहाँ कोई आतंकवादी आ गया और मुठभेड़ हुई और मकान में रखे विस्फोटक सुलग उठे ना ऐसी आतंकवादी घटना है जिसमे आतंकवादी बाजार/घर / ट्रेन/बस में बम प्लांट कर देते हैं और रिमोट से या आत्मघाती तरीके से विस्फोट कर देते हैं.ऐसा कुछ नहीं था.
यहां के जैन समुदाय का एक व्यापारी (आतंकवादी की कोई जाति या धर्म नही होता,ऐसा ही लिखते हैं ना ?) जो भाजपा के स्थानीय व्यापारिक प्रकोष्ठ का पदाधिकारी था (अपराधी किसी भी राजनैतिक दल का हो सकता है ?) १० वर्षों से क़स्बे में एवं मध्य व्यवसायिक क्षेत्र में अवैध रूप से किराये के मकान में भारी मात्रा में रखे जिलेटिन डायनामाइट का भंडारण कर रहा था.
इतनें वर्षों तक पुलिस, प्रशासन सोया था जो वहाँ पर इतनी मात्रा में कुएँ /खदानों में वैध/अवैध विस्फोट के लिये जिलेटिन का भंडारण हो रहा था ?
हायकोर्ट जज की द्वारा बरसों बाद लाखों करोडों रुपये बरबाद कर आई न्यायिक जाँच से क्या निष्कर्ष निकलेगा जो आज सबको मालूम नहीं है? या पहले हुई जाँचो से अलग निष्कर्ष निकलेगा ?जाँच के अंत में यही लिखेंगे ना कि विस्फोटकों का भंडारण शहर से दूर सुरक्षित ढंग से होना चाहिये. क्या प्रशासन-पुलिस को यह पता नहीं था. प्रशासन पुलिस की अनुशंसा पर आगरा के संबंधित विभाग की अनुशंसा से निश्चित मात्रा में विस्फोटक रखने का लायसेंस देता है जिसकी ख़रीदी /उपयोग का ब्योरा रजिस्टर में रखना होता है जिसकी प्रशासन को नियमित जाँच करना चाहिये.
जिलें में विस्फोटकों से खदानों, कुओं में वैध-अवैध तरीके से बरसों से विस्फोटकों का प्रयोग होता रहा, उस कथित भगोड़े व्यापारी का एक भाई पहले ऐसे एक विस्फोट में मारा जा चुका है, जिसे तब सिलेंडर से हुई मृत्यु बतलाया गया. कल ही उसके एक भाई के यहाँ भंडारित १०० जिलेटिन रॉड ज़ब्त हुई है.
✔️सीधे प्रश्न और उत्तर उभरते हैं. क्यों नही पुलिस -प्रशासन के तात्कालिन और वर्तमान के उन सारे सारे अफ़सरों पर जिनकी विस्फोटकों के बारें में तनिक भी जवाबदारी थी या है - को चिन्हित करलापरवाही से हुई मौतों का जवाबदार ठहराना चाहिये.
यह दुर्घटना नहीं है, यह जानबूझ कर की गई या होने दी गई हत्याएँ हैं. ये आकस्मिक घटना नहीं है. चूक भी नहीं है. घोर अहंकार से उपजा प्रमाद है और बेशर्म लापरवाही है.
✔️ अगर वह व्यक्ति सिख होता तो तार खालिस्तान कमाडों फ़ोर्स या पंजाब के कट्टर आतंकवादियों से जुड जाते मुसलमान होता तो मामला लश्कर ए तैयबा से आगे तालिबान और इस्लामिक स्टेट, सिरिया यमन तक जाता और सारे देश में टीवी पर बयानों-बहसों की बाढ़ आ जाती.मामला हिंदू राष्ट्र का है अत पहले ही दिन बिना किसी जाँच के अखबारों ने भी दबी ज़बान से लिख दिया कि पुलिस इस घटना का आतंकवादी कोण नहीं मानती.राष्ट्रीय एजेंसी एनआईए भी पेटलावद पहुँच गई है जो आतंकवादी कोण की भी निश्चित जाँच करेगी.यह क्षेत्र ‘सिमी’ संगठन की कर्मभूमि रहा है तो ‘समझोता एक्सप्रेस,मालेगांव,मक्का मस्जिद हैदराबाद,अजमेर दरगाह ब्लास्ट से जुड़े ‘हिंदू राष्ट्रवादियों’ के संबंध भी इसी क्षेत्र से हैं.
विस्फोटक धर्म निरपेक्ष होते हैं
इसके पहले भी मध्यप्रदेश में सेंघवा में ओवरलोडेड बस – जिसमें निकास का एक ही दरवाज़ा था – में बसों की आपसी प्रतिद्वंदिता में आग लगाई गई.१५ जलकर मर गये.सरकार ने बसों में दो दरवाज़ों का नियम बनाया.पन्ना में अभी फिर बस जल गई ५० लोग जिंदा जल गये.इसकी जांच चल रही हैं.बसों में दो दरवाज़े नहीं लग सके. बस मालिक जब चाहें बसों का संचालन बंद कर सरकार को धमका सकते हैं.२ वर्ष पूर्व राऊ (इंदौर) में पटाखों के अवैध भंडारण से १० से अधिक लोग जिंदा जल चुके हैं.मई १४ में १८ लोग अवैध पटाखों से नज़दीक के बडनगर में मर चुके हैं.समाचार पत्रों में आज सारे मध्यप्रदेश के ऐसे अनेकों जिलों की रपट छपी हैं जहाँ पटाखों/ विस्फोटकों के अवैध भंडारण से कई मौतें हुई हैं.
मध्य प्रदेश में मंदिरों में भीड से उपजे हादसे भी अब सनसनी या संवेदना नहीं जगाते.नियमित होने वाली घटनाएँ हैं.धाराजी,उज्जैन,दतिया,सतना,चित्रकूट अादि स्थानों पर पिछले वर्षों मे प्रशासनिक लापरवाही / निकम्मेपन से बार बार दुर्घटनाएँ हुई हैं जिनमें बहुमूल्य जीवन और माल का नुक्सान हुआ है.
मुख्यमंत्री भामाशाह बन कर अपनी सरकार और अधिकारियों की नाकामियों को छुपाकर जनता का पैसा ऐसी दुर्घटनाओं के मुआवजें में बांटते है जिसकी पूरी जवाबदारी उनकी है.
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