Himanshu Kumar: देशद्रोही सूटकेस
कल मैंने एक देशद्रोही सूटकेस देखा . मैं देखते ही पहचान गया कि यह देशद्रोही सूटकेस है . उसका रंग लाल था और उस पर हज यात्रा का नम्बर भी लिखा हुआ था . मैं एक ही नजर में समझ गया कि यह तो पक्का देशद्रोही सूटकेस है . लाल रंग अपने आप में में ही देशद्रोह का सबूत है . अरे अगर इस सूटकेस को भारत में रहना है तो इसे अपना रंग केसरिया करवा लेना चाहिये था . या फिर सफ़ेद करवा लेता तो हम उसे गांधीवादी मान कर सहन कर लेते . लेकिन लाल रंग वो भी इस दौर में ? जब कि हम लाल गलियारे . लाल आतंक और लाल विचारधारा के कारण रातों को जाग जाते हैं . ऐसे में इस सूटकेस का लाल होना बहुत ही खतरनाक राजनैतिक रुझान का परिचायक है . यह राजद्रोही भी हो सकता है . सम्भव है यह विधि द्वारा स्थापित राज्य के प्रति अप्रीति उत्पन्न करने की मानसिकता रखता हो . मेरा मन हुआ इसे अभी फांसी दे दी जानी चाहिये . कमबख्त लाल . अरे जब हमारे छत्तीसगढ़ का अकलमन्द गृहमंत्री लाल सलाम कहने के जुर्म में स्वामी अग्निवेश को जेल में डालने की घोषणा कर सकता है तब इस बैग का अपने लिये लाल रंग चुनना कितना बड़ा जुर्म है .
और लाल रंग के साथ हज यात्रा का यात्री नम्बर भी . ये तो इंडियन मुजाहिदीन और चीन के गठजोड़ का साक्षात् सबूत है . होम मिनिस्ट्री पागल थोड़े ही है जो नास्तिक नक्सलियों और धर्मान्ध मुजाहिदीनों के गठजोड़ के सबूत तैयार करने के लिये बैठे बैठे कहानियां गढते है. ये देख लो सामने सबूत लाल सूटकेस पर हज का नम्बर . और क्या सबूत चाहिये तुम्हें छद्म धर्मनिरपेक्षवादी अन्धों .
मैं तो पहले से ही रंगों के आधार पर फैसले कर देने के पक्ष में हूं . दंतेवाड़ा में एक बार एक खेल रहे एक आदिवासी बच्चे के पैर में पुलिस ने गोली मार दी . मैं एस पी साहब के पास गया . मैंने कहा साहब उस बच्चे को तो हम जानते है उसे गोली क्यों मारी ? तो एस पी साहब कहने लगे कि उसने हरे रंग की शर्ट पहनी हुई थी और इस रंग की शर्ट तो नक्सलवादी पहनते हैं इसलिये हमने गोली मार दी . एस पी साहब की एकदम वाजिब बात है . मैंने उनसे कहा कि इस जिले में जिनके पास भी हरी शर्ट है आप सबको गोली मार देंगे ? मेरे पास भी एक हरा कुरता है . जिस दिन मैं अपना हरा कुरता पहनूं उस दिन आपके सामने ना आऊँ नहीं तो आप गोली मार देंगे .
पर भारत में यह चलता है . आपका रंग ही आपकी पहचान है .आपके ऊपर क़ानून का डंडा आपका रंग देख कर चलता है . सरकार जब मुसलमानों पर डंडा चलाती है तो हिंदुओं से कह देती है चुप रहो यह पाकिस्तानी है , गोया पाकिस्तानी को आप ढोल की तरह पीट सकते हैं . हाँ अमरीकी या जापानी को नहीं पीट सकते . हम अपने पड़ोसी के साथ नहीं जी सकते . दूर वाले आकर हमारे सिर पर बैठ जायें कोई तकलीफ नहीं .
पाकिस्तानी मरे तो हम बहुत खुश होते हैं . हम इंसान को इंसान के तरह नहीं मानते . हम इंसान को उसके जन्म के स्थान के आधार पर दोस्त या दुश्मन मानते हैं. हम ऐसा क्यों करते हैं पता नहीं . पर हमारे बाप ने ऐसा ही किया था इसलिये हम भी ऐसा ही करते हैं जी . अच्छे बच्चे बहस नहीं करते .
http://dantewadavani.blogspot.in/2012/12/blog-post.html
और लाल रंग के साथ हज यात्रा का यात्री नम्बर भी . ये तो इंडियन मुजाहिदीन और चीन के गठजोड़ का साक्षात् सबूत है . होम मिनिस्ट्री पागल थोड़े ही है जो नास्तिक नक्सलियों और धर्मान्ध मुजाहिदीनों के गठजोड़ के सबूत तैयार करने के लिये बैठे बैठे कहानियां गढते है. ये देख लो सामने सबूत लाल सूटकेस पर हज का नम्बर . और क्या सबूत चाहिये तुम्हें छद्म धर्मनिरपेक्षवादी अन्धों .
मैं तो पहले से ही रंगों के आधार पर फैसले कर देने के पक्ष में हूं . दंतेवाड़ा में एक बार एक खेल रहे एक आदिवासी बच्चे के पैर में पुलिस ने गोली मार दी . मैं एस पी साहब के पास गया . मैंने कहा साहब उस बच्चे को तो हम जानते है उसे गोली क्यों मारी ? तो एस पी साहब कहने लगे कि उसने हरे रंग की शर्ट पहनी हुई थी और इस रंग की शर्ट तो नक्सलवादी पहनते हैं इसलिये हमने गोली मार दी . एस पी साहब की एकदम वाजिब बात है . मैंने उनसे कहा कि इस जिले में जिनके पास भी हरी शर्ट है आप सबको गोली मार देंगे ? मेरे पास भी एक हरा कुरता है . जिस दिन मैं अपना हरा कुरता पहनूं उस दिन आपके सामने ना आऊँ नहीं तो आप गोली मार देंगे .
पर भारत में यह चलता है . आपका रंग ही आपकी पहचान है .आपके ऊपर क़ानून का डंडा आपका रंग देख कर चलता है . सरकार जब मुसलमानों पर डंडा चलाती है तो हिंदुओं से कह देती है चुप रहो यह पाकिस्तानी है , गोया पाकिस्तानी को आप ढोल की तरह पीट सकते हैं . हाँ अमरीकी या जापानी को नहीं पीट सकते . हम अपने पड़ोसी के साथ नहीं जी सकते . दूर वाले आकर हमारे सिर पर बैठ जायें कोई तकलीफ नहीं .
पाकिस्तानी मरे तो हम बहुत खुश होते हैं . हम इंसान को इंसान के तरह नहीं मानते . हम इंसान को उसके जन्म के स्थान के आधार पर दोस्त या दुश्मन मानते हैं. हम ऐसा क्यों करते हैं पता नहीं . पर हमारे बाप ने ऐसा ही किया था इसलिये हम भी ऐसा ही करते हैं जी . अच्छे बच्चे बहस नहीं करते .
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