मोदी जी ने फिर किये झूटे वादे – महाराष्ट्र केंद्र शासन दे जवाब

मोदी जी ने फिर किये झूटे वादे – महाराष्ट्र केंद्र शासन दे जवाब

* सरदार सरोवर की बिजली मुफ्त नही | हजारो करोर पूंजी हजारो हे |
* ज़मीन आदिवासी का त्याग एवं विस्थापन की परवाह नही करते मोदी जी |

मोदी जी, एक मंच पर बहस करे !
मुंबई कल (22 दिसम्बर) के रोज़ आयोजित विशाल जन सभा में नरेन्द्र मोदी जी ने फिर सरदार सरोवर (नर्मदा परियोजना) की बात छोड़ी और अपने झूटे दावो/ वक्तव्यों पर आधारित राजनीति का परिचेय फिर एक बार दिया | यह बात भी समझने लायक है की उन्होंने नर्मदा किनारे बडवानी जिले में मध्य प्रदेश चुनाव के पूर्व हुई उनकी सभा में जो सरदार सरोवर का ही प्रभावित क्षेत्र है इस पर परियोजना का ज़िक्र तक नही किया नाही कोई दावा सरदार सरोवर से महारष्ट्र और मध्य प्रदेश को मुफ्त बिजली देने का |

कल मोदी जी ने पुन और भोपाल में हुई सभाओ के वाही फिर दोहराया के सरदार सरोवर से महारष्ट्र को 400 मेगावाट तथा मध्य प्रदेश को 400 मेगावाट मुफ्त मिलने वाली है लेकिन राज्ये के मुख्यमंत्री (श्री चौव्हान) और प्रधानमंत्री ही रोड़े दल रहे है | यह सरासर झूट बात मोदी जी दोहरा रहे है क्युकी महाराष्ट्र या केंद्र शासन या कांग्रेस/ यूपीए की बोझ से कोई सच्चा सशक्त जवाब नही दे रहे है | समझ में नही आता की जो बात कागजातों / रिपोर्ट के आधार पर साबित है और मोदी जी की झूट की पोल खोल कर संभव है वह क्यों नही ज़ाहिर करते है ये सरकारे किसकी दबाव में है ?

नर्मदा बचाओ आन्दोलन के लाखो किसान, मजदूर, आदिवासी, कुम्हार, मछुआरो की और से हम खुलेआम मोदी जी को चुनोती देते है जिन्हें नर्मदाकी सच्चाई का पता नही है ऐसे लाखो के सामने इस तरह बरतने के बदले वह हमारे साथ खुले मंच पर बहस के लिए तैयार हो जाये ताकि सरदार सरोवर की सच जनता समझे | वह ही अपना समय और दिन तय करे स्थान सर्वसहमति से हो |

कल के मोदी जी के वक्तव्य से यह भ्रह्म फेला कर की महारष्ट्र और केंद्र भाजपा शासन को नुकसान पहुचने तथा लाभ न मिलने देने के इरादे से सरदार सरोवर को आगे नही बढ़ने दे रहे है | मोदी जी की गुजरात शासन बांध की ऊँचाई 122 मी. से आगे 17 मी. बढाकर उसे 138.68 मी. तक पूरा करना चाहते है |

सच तो यह है की गुजरात से नाही पुनर्वास नाही पर्यावरण जांच शर्तो की पूर्ति हुई और नाही डूब क्षेत्र के सही बेक वाटर लेवल लगाये गये है | आज भी 2.5 लाख लोग डूब क्षेत्र के बड़े पके मकानों के, हरी भरी खेती-फल के खेती के गाँवों में बसे है | आदिवासी गाँव में आज भी दो हज़ार से अधिक परिवार खेती/ घर डूबने के बाद भी पुनर्वसन में ज़मीन नही मिली है, इसलिए वहीँ डट कर लड़ रहे है |

जबकि महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की प्रतियेक 9,500 मीटर्स और 20442 हे. ज़मीन स.स के लिये डूब रही है 51000 से अधिक परिवार प्रभावित है आज भी करोरो पेड़ डूब क्षेत्र में है , सेकड़ो मंदिर, मस्जिद ही नही धर्मशालाए, पंचायते, दावाखाने, दुकान-बाज़ार सब कुछ डूबना बाकि है और कानून तथा सर्वोच्य अदालत के फ़सलो के अनुसार बिना वैकल्पिक पुनर्वास इन तमाम सुविधाओ के बिना इन्हें डुबोया नही जा सकता केंद्रीय प्राधिकरण भी इसे मंज़ूरी केसे दे सकते है |
आज भी न्यायालयों में याचिकाए जारी है |

ओदी जी छुपा रहे है की यह परियोजना अंतर्रज्ये परियोजना है न केवल गुजरात की हर राज्यों ने लाभों की मात्रा अनुसार ही आर्थिक पूंजी निवेश भी किया है महाराष्ट्र ने आजतक 1300 करोड़ रूपये और मध्य प्रदेश ने 2,065 करोड़ रूपये लगाये है जबकि दोनों मिलाकर 2,000 करोड़ रूपये का खर्च विवाद ग्रस्थ है | गुजरात की अपनी दादागिरी बिना मंज़ूरी निचले स्तर पर बाये पास इरीगेशन ट्रिब्यूनल बनाया इसका कारन है | साथ ही इन राज्यों ने अपनी ग्रामीण तथा मध्य प्रदेश के धर्मपुरी नगर के आदिवासियों के, किसान, दलित मजदूर, मछुआरे और मछली जंगल इत्यादि पूरी सम्पदा भी आहुति दी है | बिजली भी बांध 110 मी. तक बदने के बाद सही मात्र में गुजरात से महाराष्ट्र को प्राप्त नही हुई है इस इस्तिथि में मोदीजी ने 400 मेगावाट ( जो केवल बिजली निर्मित की क्षमता महाराष्ट्र शासन ने पूना की उनकी सभा के बाद ही तत्काल जवाब नही देना ही क्षमता में महारष्ट्र का हिस्सा है) मुफ्त में देने की बात करना सरासर झूट है | इसे महाराष्ट्र शासन ने पूना की उनकी सभा के बाद ही तत्काल जवाब नही देना ही बड़ी भूल हुई है |

केंद्र शासन को दोषी पकड़ने वाले नरेन्द्र मोदी जी अच्छी तरह से जानते है की AIBP केंद्र शासन की योजना से डूब से अधिक रुपया सरदार सरोवर को पञ्च से दस सालो में मिला है AIBP को सहयेता रकम सही उद्देश्य पर खर्च न होने का निष्कर्ष रिपोर्ट में है | आज तक अधिकाँश सहयेता के बावजूद राजनितिक स्वार्थ से ही नरेन्द्र मोदी जी केंद्र को दोष देते रहे है गुजरात के कांग्रेस डसल के नेताओ ने भी इस परियोजना की 400000 हे. लाभ क्षेत्र की ज़मीन बहार करके कंपनियों के लिए अरक्षित होने का विरोध नही किया है | नाही गुजरात ने 30 से अधिक नाहर निर्माण 30% सालो में किया है गुजरात हिस्से में सरदार सरोवर का 91% पानी होते हुए उसका बड़ा हिस्सा मूल योजना के खिउलाफ़ जाकर कंपनियों के 3 शहरों के (बड़ोदा, अहमदाबाद, गांधीनगर)ओर मोड़ने का उससे कच्छ सौदान को पर्याप्त पानी न देने का अपराध मोदी शासन ने किया है यह सब सामने लाने के लिए केंद्र और महाराष्ट्र शासन अगर तैयार नही है तो चुनौती केवल आन्दोलन ही ले सकता है |

हमने ली है मोदी जी हिम्मत करे की वह उन क्षेत्रो में नर्मदा किनारे आकार मुंबई में ऊँचे मंच से कही बाते धरातल पर उतर कर कहे | वे जानते है की बडवानी की आम सभा में वेह सरदार सरोवर के बारे में एक लव्ज़ भी क्यों नही बोले | वेह जानते है की उनकी पार्टी उन्हें कुछ भी बोलने से मन क्यों किया और मोदी जी तथा शिवराज सिंह चौव्हान भी जानते है की बडवानी, कुक्षी, अंजर विधान सभाओ में मोदी जी ज़ाहिर सभा बावजूद भाजपा की हार क्यों हुई?
मोदी जी जवाब दे?

योगिनी खानोलकर   कैलाश अवस्या    चेतना साल्वे    मेधा पाटकर 

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