NAPM pays respect and homage to die-hard and committed activist Dr. Banwari Lal Sharma Ji


NAPM का बनवारी लाल शर्मा जी के संघर्षपूर्ण जीवन को सत् सत् नमन और भावभीनी श्रधांजलि
सितम्बर २६नई दिल्ली आज तडके सुबह आज़ादी बचाओ आंदोलन के प्रणेता डॉ बनवारी लाल शर्मा जी का ह्रदय गति रुकने से चंडीगढ़ के पी जी आई अस्पताल में निधन हो गया चंडीगढ़ में एक सभा को संबोधित करते हुए कल उन्हें कुछ तकलीफ के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था पिछले कुछ महीनों से उनके स्वास्थ्य को लेकर परेशानी बढ़ गयी थी फिर भी वे निरंतर जन आंदोलनों की मदद और साम्राज्यवादी ताकतों से लड़ने की रणनीति पूरे देश भर घूमकर बनाते रहे इंदौर में आगामी नवंबर महीने में आज़ादी बचाओ आन्दोलन के वार्षिक अधिवेशन की तैयारी को लेकर वे इन दिनों काफी व्यस्त चल रहे थे |

उनकी अचानक मृत्यु हम सभी साथियों के लिए अत्यंत दुखद और सदमापूर्ण हैअपना पूरा जीवन उन्होंने विदेशी कंपनियों के विरोध में और स्वदेशी विचार के प्रचार में लगाया ५ जून १९८९ को प्रोरघुनाथ जीराम धीरज और अन्य साथियों के साथ मिलकर आज़ादी बचाओ आन्दोलन की स्थापना इलाहाबाद में की जिसको एक विधिवत ढांचा सेवाग्राम के अधिवेशन में दिया गया बनवारी लाल जी ७० के दसक में जे पी आन्दोलन में बहुत ही करीब से जुड़े रहे और लाखों लोगों के साथ जेल भी गए गांधीवादी विचारों के साधक असहयोग और सीधी कार्यवाई में विश्वास रखने वाले बनवारीलाल जी ने स्वार्थ रहित और सादगी भरा जीवन व्यतीत किया अपनी धुन के पक्के नब्बे के शुरूआती दशक में जब आर्थिक सुधारों का दौर शुरू हो रहा था तब अन्य जन आंदोलनों सर्व सेवा संघजन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय (NAPM), छोटे उद्योगों के संगठन आदि के साथ मिलकर GATT, WTO, विश्व बैंक आदि बहुराष्ट्रीय कंपनियों और प्रक्रियाओं का पुरजोर विरोध किया कोका कोलामोंसंतोकारगिल और अन्य विदेशी कंपनियों के सामने उन्होंने जबरदस्त मोर्चा पूरे देश में खोला |

इसी सिलसिले में एक फरवरी २००१ को ३०० किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला इलाहाबाद से वाराणसीवाराणसी से जौनपुर और जौनपुर से इलाहाबाद का आयोजन कियाजिसमे स्कूल के बच्चोंशिक्षकों के अलावा अन्य कार्यकर्ता और आम जन शामिल हुए मानव श्रृंखला ने सथारिया के पेप्सी प्लांट और रजातालाब में कोका कोला के प्लांट को घेरा जो की बढ़ते वैश्वीकरण और उपभोक्तावाद के प्रतीक थे |

भारत के परमाणु हथयार के कार्यक्रम और परमाणु उर्जा के संयत्र का उन्होंने हमेशा विरोध किया और परस्पर लोगों को लामबंद करने और साथ लाने की कोशिश की पिछले कुछ सालों में उन्होंने विभिन्न यात्राओं के द्वारा जैतापुर,कूदंकुलमफतेहाबादचुट्खा परमाणु परियोजनों के खिलाफ वहाँ चल रहे संघर्षों को समर्थन ही नहीं दिया बल्कि सरकार के ऊपर एक दवाब भी बनाया |अन्याय के प्रति लड़ने को हमेश तत्पर बनवारी लाल जी ने शांति और न्याय यात्रा के जरिये छत्तीसगढ़ में हो रही हिंसा के विरोध में भी आवाज़ उठाई और शांति की पहल की |

NAPM के साथ बनवारी लाल जी का शुरूआती दौर से ही साथ रहा शुरुआत के दिनों में वे राष्ट्रीय समनव्यक भी रहे और एनरोन विरुद्ध संघर्षपलाचिमादा कोका कोला संघर्षनर्मदा बचाओ आंदोलन आदि कई संघर्षों में साथ रहे और हाल में जन संसद की प्रक्रिया में साथ साथ रहे |
बनवारी लाल जी एक समाजसेवी के साथ साथ गणित के माने हुए विद्वान भी थेयही कारण भी है की अपने पीछे वे एक तैयार की हुई कार्यकर्ताओं की पूरी टोली छोड़े जा रहे हैं आज़ादी बचाओ आंदोलन ही नहीं पूरे देश के अन्य आंदोलनों के युवा और हमउम्र कार्यकर्ताओं के साथ हमेशा लगे रहे एक समतामूलक और न्यायपूर्ण समाज के निर्माण में पूरे देश घूमना और वहाँ की खबर एक तत्पर दूत की भांति तुरंत पहुँचाना कोई उनसे सीखे बलाश नाम से वे 'नई आज़ादीमुखपत्र में हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओँ में लिखते और जन संसाधनों के सुरक्षा और समुदायों के हक़ के लिए लड़ते साम्प्रदायिकता विरोधी आंदोलन में बढ़ चढ़ कर उन्होंने अपनी भूमिका निभाई |
जन आंदोलनों के साथियों को उनकी कमी बहुत ही खलेगी उनका निधन एक अहम पड़ाव है निजी कंपनियों के खिलाफ हमारी लड़ाई में 

जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय की ओर से हम उन्हें भाव भीनी श्रधांजलि देते हैं उनके संघर्षों को नमन करते हुए उनके आत्मा की शान्ति की कामना करते हैं|

मेधा पाटकरप्रफुल्ल समंताराडॉ सुनीलमअरुंधती धुरुपी चेन्निया,गाब्रिएले डिएट्रिचसिस्टर सीलियासुधीर वोम्बत्केरेसंदीप पाण्डेय,सुनीति एस आरसुहास कोल्हेकरउल्का महाजनरोमासुभाष लोमते,आनंद मज्गओंकरगौतम बंदोपाध्यायरामकृष्ण राजूसरस्वती कवुला,विमल भाईराजेंद्र रविभूपिंदर सिंह रावतश्रीकांतसीला मनस्वीनी,मधुरेश कुमार

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